नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Dry Eyes Syndrome: लैप्टॉप, मोबाइल, टीवी जैसी चीज़ों के लंबे इस्तेमाल से इन दिनों ड्राई आई सिंड्रोम बेहद आम समस्या बन गई है। दरअसल, अगर आंखों को लंबे समय तक पूरी नमी न मिले, तो उनमें खुजली और पानी आना जैसी परेशानी शुरू होने लगती है। इसे ड्राई आई सिंड्रोम कहते हैं। हॉर्मोंस में बदलाव की वजह से महिलाओं में यह दिक्कत ज़्यादा होती है।

विज़न आई सेंटर के मेडिकल डायरेक्टर, डॉ. तुषार ग्रोवर का कहना है कि आंखों का सूखापन यानी Dry Eyes Syndrome एक ऐसी बीमारी है, जिसमें आंसू उचित मात्रा में आंख में नहीं पहुंच पाते और आंखों में नमी कम हो जाती है। यह आंखों की बहुत ही कष्टकारक समस्या है, इस समस्या में जलन, खुजली, किरकिरापन, आंखों को हमेशा मलते रहने की ज़रूरत महसूस होना, आंखों से पानी निकलना जैसे लक्षण देखे जाते हैं। शुरुआत में आंखों का सूखापन सोने से या घरेलू उपायों से ठीक हो जाते हैं, लेकिन बार-बार ये समस्या होने पर नज़रअंदाज़ करना आंखों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर के पास जाकर आंखों का इलाज कराएं।

ड्राई आई सिंड्रोम होने के कारण (Causes of Dry Eyes Syndrome)

आंखों में सूखापन या आंखों में नमी की कमी होने के पीछे बहुत सारे कारण होते हैं। जैसे-

1. ज़्यादा देर तक लैप्टॉप या मोबाइल का इस्तेमाल।

2. कॉन्टैक्ट लेंस को लंबे समय तक पहनना। 

3. एयरकंडीशन में ज़्यादा देर तक बैठना।

4. प्रदूषण के कारण

5. दर्द निवारक, उच्च रक्तचाप और अवसाद दूर करने वाली दवाओं का सेवन।

6. सूजन या विकिरण से आंसू, ग्रंथियों को पहुंचा किसी प्रकार का नुकसान जिसके चलते आंसूओं के उत्पादन में कमी हो जाती है।

7. विटामिन-ए की कमी

8. बुढ़ापे के कारण, 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में कई बार आंसूओं का उत्पादन घट जाता है।

9. मुंहासों के इलाज के लिए प्रयोग की जाने वाली आइसोट्रेटीनियोन दवाएं।

10. सिस्टेमेटिक कंडीशन जैसे की स्जोग्रेन सिंड्रोम, रूमेटाइड अर्थराइटिस। यह भी कारण हो सकता है।  

ड्राई आई सिंड्रोम रोकने के उपाय (How to Prevent Dry Eye Syndrome)

- आंखें प्रकृति का सबसे बड़ा उपहार हैं, इसलिए आंखों की देखभाल सबसे पहले करनी चाहिए। आंखों को शुष्कता से बचाने के लिए अधिक देर तक कम्प्यूटर के सामने नहीं बैठना चाहिए या स्मार्ट फोन का अधिक प्रयोग, अधिक टी.वी. देखना, इन सबसे बचना चाहिए साथ ही आंखों में सीधी हवा न लगने दें, प्रदूषण और धूप में आंखों पर चश्मा लगाएं। 

- अगर कम्प्यूटर में अधिक देर तक काम करना भी पड़े, तो कुछ समय के अन्तराल में आंखों को कुछ देर के लिए बन्द करके आराम दें और आंखों में गुलाब जल डालें और ठंडे पानी से आंखों को धोएं। इसके अलावा जीवनशैली और आहार में भी कुछ बदलाव लाकर ड्राई आई सिंड्रोम के लक्षणों (Dry Eye Symptoms) को रोका जा सकता है।

- आहार में सभी पोषक तत्वों को शामिल करें खासतौर पर विटामिन-ए जो कि आंखों के लिए बेहद ज़रूरी है। ताजा फल, सब्जियां, साबुत अनाज और नट्स जिनमें ओमेगा फैटी एसिड होते हैं। आवश्यक फैटी एसिड और पोषक तत्व आंखों के टियर फिल्म के पानी और तेल युक्त जलीय परतों के उत्पादन के लिए ज़िम्मेदार होता है।

- व्यायाम की कमी, अस्वस्थ जीवनशैली कारक तत्व जैसे धूम्रपान, एल्कोहल का सेवन या अत्यधिक तनाव से बचें। शुष्क आंख वाले रोगियों में पोटैशियम बहुत कम होता है। इसलिए गेंहू के बीज, बादाम, केले, किशमिश, अंजीर और एवाकाडो शामिल हैं।

- वहीं, पारस हॉस्पिटल के नेत्र विभाग हेड- डॉ. ऋषि भारद्वाज का कहना है कि अगर आपको ड्राई ऑय सिंड्रोम हैं, तो अपने कमरे में नमी बढ़ाने और शुष्क मौसम से बचने के लिए एक ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें। अपने कांटेक्ट लेंस को पहनने और आपके द्वारा कंप्यूटर या टेलीविजन के सामने बिताए जाने वाले समय को सीमित करें।

 

- अगर आपकी सूखी आंखें पर्यावरणीय कारकों के कारण ड्राई हो रही हैं, तो कुछ जीवन शैली में बदलाव करने की कोशिश करें, जैसे कि सिगरेट के धुएं के संपर्क में आने से बचना और हवा के चलने पर बाहरी गतिविधियों से बचें। घर में एक ह्यूमिडिफायर लगाने से हवा में नमी आती है, जिससे सूखी आंखों में मदद मिल सकती है।